मैं आगे दौड़ जाऊँगा
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वक़्त का रुख
लहर सागर की
एक दिन मोड़ जाऊँगा
दिलों के बीच की दीवार को
मैं तोड़ जाऊँगा
चला जाऊं यूँ ही गुमनाम
फितरत में नहीं मेरी
अगर जाऊँगा तो
कोई निशानी छोड़ जाऊँगा
करोगे लाख कोशिश पर
मुझे न भूल पाओगे
तुम्हारे साथ
मैं अपनी कहानी जोड़ जाऊँगा
बलाएँ दूर भागेंगी
मेरी परछाइयों से भी
चुनरिया माँ के आशीर्वाद की
मैं ओढ़ जाऊँगा
सफर जब आखिरी होगा
चलोगे तुम मेरे पीछे
तुम्हारे कन्धों पर चढ़कर
मैं आगे दौड़ जाऊँगा
रचनाकार-संजय श्रीवास्तव 'कौशाम्बी'
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